चंद्रवंशी जाडेजा राजवंश का इतिहास Chandravanshi Jadeja Rajput

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जाडेजा राजवंश शखगोत्र प्रवर

चंद्रवंशी जडेजा राजवंश का इतिहास

जडेजा दरबार (राजपूतों) क्षत्रियों का इतिहास

जडेजा राजवंश गुजरात के कच्छ व सौराष्ट्र के इलाके में राज करने वाला एक झुझारू राजवंश है। जडेजा राजवंश की उत्पत्ति चंद्रवंशी क्षत्रिये हैं व इनकी उत्पत्ति यदुकुल से मानी जाती है। जडेजा चुडासमा भाटी जादौन चारो कुल यदुवंश की अलग अलग शाखाये है जो भिन्न भिन्न समय पर यदुवंश से निकली है। जडेजा वंश गुजरात का सबसे बड़ा राजपूत वंश माना जाता है। जडेजा राजपूतों के सौराष्ट्र में लगभग 700 गाँव बेस हुए है और लगभग २३०० गाँवो पर आजादी के समय इनका शाशन रहा है। गुजरात हाई कोर्ट भी जडेजाओ की कृष्णा जी के वंशज होने की बात प्रमाणित करता है कुछ समय पहले हुए एक केस में कोर्ट ने जाम नरेश को प्रद्युम्न जी का वारिस मानते हुए संपत्ति पर हक़ का अधिकार दिया।

================भूचर मोरी व नवानगर के प्रसिद्द युद्ध==========================

महाभारत काल के बाद इतिहास के दो सबसे बड़े युद्ध भी जडेजा वंश के नेतृत्व में लड़े गए। भूचर मोरी और नवानगर के युद्ध में जडेजा वीरों ने डट कर विदेशिओं का मुकाबला किया। ये युद्ध क्षत्रियो की वीरता व रण कौशल का उत्तम उद्धारण है जो कभी भुलाये नहीं जाने चाहिए। इन दोनों युद्धों के बारे में संछिप्त में अगली पोस्ट में विवरण दिया जायेगा।

============जडेजा शाषित पूर्व राज्य व ठिकाने=======================

1.भुज(९२३ गांव) १९ बंदूको की सलामी
२.मोरवी(१४१ गांव) ११ बंदूको की सलामी तालूका-१
मालिया(२४ गांव ) (मोरवी के द्वारा) सज्जनपुर (७गांव ) मोरवी द्वारा
जागीर – रोहा ,कोठारिया, लाकडीया, विजांन,,मानजल,तेरा आदि मिलाकर १९ जागीर….
नावानगर (हालार) शासित राज्य
१. नावानगर (७४१ गांव) १५ बंदूको की सलामी
२. ध्रोल(७१ गांव) ११ बंदूको की सलामी
३. राजकोट ( ६४ गांव) ९ बंदूको की सलामी
४. गोंडला (१२७ गांव ) ११ बंदूको की सलामी राजकोट द्वारा
५. खरेडी वीरपुर(१३ गांव) नावानगर के द्वारा
६. कोटडा सांगानी(२० गांव) गोंडला के द्वारा
७. खिरासारा(१२ गांव ) ध्रोल द्वारा
८. जालीया देवानी(१०. गांव ) ध्रोल द्वारा
__________________तालूका_____________________________
१. गढका (७ गांव ) राजकोट द्वारा
२.गवरीदड(५ गांव) राजकोट द्वारा
३.पाल (५गांव ) राजकोट द्वारा
४.शापर(४गांव) राजकोट द्वारा
५.लोधिका सीनियर(५गांव) राजकोट द्वारा
६.लोधिका जूनियर (५गांव) राजकोट द्वारा
७.कोठारिया(१०गांव ) राजकोट द्वारा
८.मेंगनी(८गांव) गोंडला द्वारा
९.भाडवा(४गांव) गोंडला द्वारा
१०.राजपरा(९गाँव)गोंडल द्वारा
तालूकदारी(शेयरहोल्डर)
१. ध्र्रफा(२५गांव) ९ तालूकदार से ज्यादा
२.सतोदड वावडी(६गांव)
३.देरी मूलैला(५गांव)
४.शीशाग चाँदली (४ गांव) आदी
कूछ ३३ गाँव पालनपुर के अन्दर

==============जडेजा राजपूतों की वंशावली व संछिप्त इतिहास================

१.राजा चंद्र (त्रेता युग के तीसरे चरण मे प्रथ्वी पर कोई अच्छे राजा ना होने से इन्द्र की सूचना से चन्द्र ने अवतार लिया जिससे चन्द्रवंश चला|
२.बुद्ध ( चन्द्र के ब्रहस्पति कन्य तारा की कोख से जन्म लिया , बुद्ध ने श्राद्धदेव मुनि की बेटी इला से विवाह कर पुरूरवा नामक पराक्रमी पुत्र हुआ)
३.पुरूरवा(इनकी राजधानी प्रयाग थी इनके गुणगान एक बार नारद ने इन्द्र सभा मे कहे जिसको सुनकर उर्वशी ने प्रथ्वी पर आकर पुरूराव से शादी की ,जिसके अयु ,सत्यायु ,ऱाय, विजय वगैरा ७ पुत्र हुए)
४.अयु(नरूहुस ,क्षत्रावुध ,राजी राम्भ,अनीना नाम के पुत्र हुए )
५.नुहुस(जिसने १०० बार अश्वमेघ यज्ञ किया था)
६. ययाति(६ भाईयो मे सबसे बडे जिसने शुक्राचार्य की बेटी देवयानी जो कि ब्राहम्ण कन्या थी उससे हुई ,देवयानी को श्राप था के वो ब्रहामण नही रहेगी जिसके दो पुत्र हुए यदु और तुरवुश और दूसरी बीवी सरमिशठा से ३ पुत्र हुए जिसमे एक पुरूराव जिसकी ४१ वी पीढी पर राजा युधिष्टर हुए)
७. यदु (इन राजा के कुल मे जो राजा हुए वो यदुवंशी कहलाए)
८.कोष्ठा
९.वराजीनवन
१०.स्वाही
११.रूसीकू
१२.चित्रार्थ
१३.शसबिन्धू
१४. प्रथूुसवा
१५.धर्म
१६.उस्ना
१७.रूचक
१८.जयामेघ
१९.विरालभ
२०.कराथ
२१.करून्ती
२२.धरूस्टी
२३.निवरित
२४.दरसाहा
२५.व्योम
२६.जीतूमाक
२७.विरकुट
२८.भीमराथ
२९.नावरथ
३०.दसूरथ
३१.साकून
३२.कुरांभी
३३.देवराता
३४.देवक्षत्रा
३५.मोधू
३६.कुरू
३७.अनु
३८.पुरहोत्रा
३९.अयु
४०.सातवन(इनके ७ पुत्र थे जिसमे वृष्णि गद्दी पर बैठे)
४१.वृष्णि(४ बार प्रथ्वी के सभी राजाओ को हराया, जिन्होने वेद धर्म फैलाया, उनके नाम से कुछ यादव वरूशनीक गौत्र के कहलाए)
४२. सुमित्र
४३.शईनी
४४.अनामित्र
४५.वरूशनीक
४६.चित्राराथ
४७.विदूरथ
४८.सुर
४९.भजनाम
५०.शईनी
५१.स्वायंभोज
५२.हरिदिक
५३.देवमिथ
५४.सुरसेन(जिनकी एक बेटी को राजा कुंतीभोज ने पाला जिसका नाम कुंती था .
५५.(१४ रानी जिसमे ७ मथुरा के कंस की बहन )
५६.श्री क्रष्ण
५६.श्री क्रष्ण (भगवान विष्णु के अवतार ,पटरानी मे से सबसे बडे रूकमणी जी उसके पाटवी कवंर प्रद्युमना.
५७.प्रद्युमना
५८.अनिरूध(मिश्र के सोनितपुर के राजा बाणासुर की बेटी ओखा का हरण कर शादी की थी उस बाणासुर के श्रीक्रष्ण जी ने दोनो हाथ काट डाले थे )
यादवंशथली मे जम्बुवती के पुत्र साम्ब जो खूबसूरत होने से स्त्री के परिधान पहनकर यादवकुमारो ने दुर्वासा ऋषि के पास ले जाकर प्रश्न किया की’ इसको पुत्र होगा क्या?’,तप भंग होने से ऋषि ने श्राप दिया के इसके जिसका जन्म होगा वो यादवकुल का नाश करेगा फिर कुछ समय बाद यादव अंदर ही अंदर लडकर मर गए श्रीक्रष्ण ने भी भौतिक शरीर त्यागा , उससे पहले श्रीक्रष्ण ने अपने सारथी दारूक और शखा उद्धवजी को बुलाकर कहा था कि उसके स्वधाम जाने के बाद द्वारिका ७दिन मे डूब जाएगी उनके महल के अलवा इसलिए सभी अर्जुन के साथ मेरे परिवार को लेकर इन्द्रप्रस्थ जाए और व्रजनाभ का राज्यभिषेक करे जब अर्जुन के साथ बचे यादवो और क्षत्रीयानि को काबा ने लूटा अनिरूध के पाटवी कवंर व्रजनाभ को इन्द्रप्रस्थ लाकर राज्यभिषेक किया , बाणासुर के अवसान के बाद उसका पुत्र सागीर उम्र मे म्रत्यु होने से सोनितपुर की गद्दी व्रजनाभ को मिली वो सपरिवार विक्रम संवत पूर्व २२७२ को मिश्र मे राजधानी हुई
५९. वरजनभ
६०.प्रतिवाह
६१. शुभ से ११३
११३. लक्ष्यराज (इस राजा से विकेरम संवत शुरू हुआ )
११४.प्रताप जी
११५.गर्वगोड (इजिप्त के सोनीतपुर और आसपास के देशो मे राज ३२०० सालो तक राज टिसा रहा और रोमन ने जीत लि ा इन्होने गद्दी काबुल मे बनाई इजिप्त छोडा)
११६.भानजी से
१३४.देवीसिंह
१३५.सुरसेन जी (यवनो ने काबुल जीत लियाइन्होने वापस यवनो से काबुल जीता और सता सिंध मे लाहौरी तक बढाई
१३६.विक्रमसेन (वापस मिश्र जीत गद्दी वहां लगाई)
१३७.राजा देवेन्द्र (मिश्र मे गद्दी , नबी मुहम्मद ने दुनिया मे इस्लाम फैलाया हमले किये इनकी म्रत्यु के बाद सोनितपुर भी जीत लिया

==============राजा देवेन्द्र के बाद युवराज=============================
* अ्सपत-
(मिश्र की गद्दी पर बैठे उनको मुहम्मद जबरदस्ती इस्लाम कबूल करवाया जिसका कुल वाकर के अनुसार उनके वंशज चागडा मुगल कहलाए जिसके वंश मे अकबर हुआ –कुछ इतिहासकार दंतकथा कहते है कि माता हिंगलाज ने ४ को छुपा दिया और एक अस्पत को सौंपा , जिसको मुह(जड) मे छुपाया वो जडेजा कहलाए ,चुड मे छुपाया वो चुडसमा कहलाए ,भाथी मे छुपाया वो भाटी कहलाए .)
*गजपत.
(विक्रम संवत ७०८ के वैशख शुद्ध तेज को शनिवार रोहिणी नक्षत्र मे गजनी शहर बसाया और किला बनवाया और अपने बडे भाई नरपत जी को गद्दी पर बैठाया और खुद हिन्द सौराष्ट्र की तरफ मैत्रा मां के भक्त थे इसलिए यहां आ बसे जिनके वंशज रा कहलाए बाद मे चुडासमा सरवैया और रायजादा कहलाए जूनागढ मे इन्होने ७०० साल राज किया)
*भूपत
(गजनी और खुरासन के प्रदेश के बीच भूपत ने राज्य चलाया,बाद मे पंजाब और सिंध मे राज्य किया ,केहूद रावल ने देवराजगढ बंधवाया, देवराज रावल के बादमे ६ थी पीढी पर जैसल जी हुए उन्होने जैसलमेर मे राजधानी बनवाई )
१३८.जाम नरपत संवत ६८३ से ७०१ (बादशाह फिरोजखान को हराकर अपने पुरखो की गद्दी जीत अफगान मे खुदकी सत्ता जमाई)
१३९.जाम सामत(समा) संवत(७०१-५८)फिरोज खान के शहजादे ने तुर्किस्तान से मुस्लिम राजाओ का सहारा लेकर गजनी पर जीत ली सामत अय्याशी थे तो युद्ध की तैयारी ना पाए और थोडे लास्कर के साथ लाहौरी मे गद्दी डाली और सिंध मे राज बढाया जिनके वंशज सिंध मे सामा कहलाए)
१४०.जाम जेहो संवत ७५७ से ८३१ (खलीफा उमर से लडाई हुई और जीते )
१४१. जाम नेतो संवत(८३१ से ८५५) खलीफा वालिफ ने सिंध पर हमला कर अपनी सत्ता जमाई , सब राजाओ ने लगान दी ,जाम नेता ने नही दी
१४२. जाम नोतीयार संवत(८६६-८७०) इरानी बादशाह ममुरासिद चित्तौड से हारकर वापस आ रहा था उनको लूटा और बंदी बनाया)
१४३. जाम गहगिर (ओधर)संवत ८७०-८८१ (रोमन के साथ व्यापार संबंध बढाये )
१४४. जाम ओथो संवत(८८१-८९८ ( कश्मीर के राजा जयपीड की बेटी की शादी अपने बेटे के साथ हुई थी)
१४५. जाम राहु संवत(८९८-९१८) कन्नौज के राजा माहिरभोज और अनंग पिड कश्मीर के साथ रिश्ते बढाए)
१४६. जाम ओढार संवत(९३१-४२) (काबुल,कंदहार, पेशावार मे फैले हिन्दू राजाओ को संघठित कर मुस्लिम को रोका था)
१४८. जाम लखियार भड संवत(९४२-९५६) (नग्गर सैमे बसाया और वहां राजगद्दी बनायी जो हाल नगरठाठे के नाम से पहचाना जाता है
१४९. जाम लाखो धूरारो संवत(९५७-९८६) अपने दोनो पैर से घोडे को झूलाते थे काफी बलवान राजा थे , पतगढ के राजा वीरम चावडा की बेटी से ४ पुत्र हुए मोड वैराया, संध और ओथो और खैरागढ के राजा सूर्य सिंह उफर श्रवण की बेटी चन्द्रकुवंर से उन्नड , जीहो , फुल और मानाई )
जाम उन्नड सिंध की गदी पर आये और मोड़ अपने मामा की गदी पटगढ़ छीन ली और उनके वंश कच्छ में (जिन्होने केरा कोट का अजोड़ किल्ला बन्धवाया)चला जिसके वंश में जाम लाखो पुलाणि हुवे जो आज भी पुरे गुजरात में सु प्रशिद्ध हे जो अटकोट में भीमदेव सोलंकी के सामने युद्ध में काम आये इनको पुत्र न होने से उनका भतीजा जाम पुनवरो गद्दी पर आया जिसने पदरगढ़ का कछ कला का विसाल किल्ला बनवाया )
१५०• जाम उन्नड सवंत (९८५ -९९१)
(महान दानेस्वरि ,अभि किसी राजा को कवी उपमा देते हे तो ‘उन्नड के अवतार’ के नाम से देते हे)
१५१.जाम समेत उर्फ़ समो सवंत (९९१-१०४१)
(जाम उन्नड के बाद नगर सैम पर जाम समो ने राज किया बादसाह नसरुदीन को हराया और पंजाब की तरफ खदेड़ा)
१५२.जाम काकू सवंत(१०४१-१०६२)
(धर्मसालि राजा थे रामेश्वर की यात्रा ५ बार की और राज्य को मजबूत किया)
१५३ जाम रायघन सवंत(१०६२-१०९२)
(तुर्की वंस में महमद गिजनी हुवा जिसने हिन्द पर १७ बार हमला किया जिसने सोमनाथ मंदिर तोडा और मंदिर का कुछ हिसा मकामदीना में और कुछ अपनी कचेरी में लगवाया मंदिर तोड़ कर लौटते वख्त राय घन जी ने जलाशयो में जहर डलवाया जिससे उसका काफी सैन्य मरा)
१५४.जाम प्रताप उर्फ पली सवंत(१०९२-१११२)
(पंजाव के राजा अनंगपल को मदद की थी १०६४ में उनके साथ उज्जैन ग्वालियर कनोज अजमेर के राजा भी मदद् को आये थे)
१५५.जाम संधभड़ सवंत(११२-११८२)
(दो पुत्र हुवे जाम जाड़ो और वेरजि)
१५६ जाम जाड़ो सवंत(११८२-१२०३)
(इनके वंसज जडेजा कहलाये इनको पुत्र न होंने से अपने भतीजे को गदी पर बिठाया बादमे उनको पुत्र हुवा जिसका नाम धयोजि था)
जाम लाखो जडेजा सवंत (१२०३-१२३१)
(धायोजी का पक्ष ज्यादा मजबूत होने से और जगडा होने से जाम लाखों अपने भाई क साथ कछ की और आ बसे और अलग अलग राजा ओ को हराकर कछ में सत्ता जमायी उधर सिंध में धयोजी निर्वंश गुजर गए)
१५८•जाम रायघनजी सावंत(१२३१-१२७१)
(इनके समय में जत काफी बलवान थे कन्नौज के राजा जयचंद ने संयोगिता का स्वमवर रखा था जिसमे जाम रायघन भी गये थे ये हिंदुस्तान का आखरी राजसूय यग्न था इन्होंने पृथ्वीराज को ५ हजार का सैन्य मदद को भेजा था और अपने एक पुत्र होथीजी को भी इनके ४ पुत्र हुवे जाम गजनजी(बारा की जागीर दी),देदोजी( कंथकोट अंजार वागड़ वगेरा दिया)होथीजी(गजोड़ की जागीर दी)और आठो जी(जिनसे कछ भुज की साख चली और राज इनको दिया)..बड़े को गदी न देने से ये जगडा १२ पीढ़ी तक चला
१५९ जाम गजनजी सवंत( १२७१-१३०१)
बारा की गद्दी पर राज किया और उनके चाचा के अंदर)
१६०जाम हालोजि सवंत १३०१-१३३१)
(इनके नाम से कुछ का कुछ प्रदेश हलार जाना जाता ह उनके वंसज जाम रावल ने भी हलार बसाया काठियावाड़ में)
१६१ जाम रायघन२ से
१७०.जाम श्री रावल जाम सवंत(१५६१-१६१८)
(यादवकुल नरेश अजेय राजा नवानगर(जाम नगर)बसाया और काफी युद्ध लड़े और काठियावाड़ में अपनी सता जमायी मिठोय का महान युद्ध जित काठियावाड़ के सभी राजा ओ को हराया अश्व के दातार छोटे भाई हरध्रोल जी से ध्रोल राज्य की साखा चली )
१७१.जाम श्री विभाजी सवंत (१६१८-१६२५)
( ,तमाचन का युद्ध ,बादसाह खुर्रम क साथ का युद्ध ,जूनागढ़ नवाब को हराना महान राजवी जाम सत्रसल को गद्दी और दूसरे बेटे भानजी को कलावड दिया और उनसे खरेदी और वीरपुर का राजवंश चला )
१७२ जाम श्री सत्रासाल उर्फ सत्ता जी सवंत (१६२५-१६६४)
(भूचर मोरी का युद्ध सौराष्ट्र के इतिहास का सबसे बड़ा युद्ध सरना गत रक्षा के लिए राजपूत धर्म का उदाहरन जामनगर में १४०००मंदिर निर्माण छोटी कशी बनाया जाम जैसाजी को गद्दी बाकि से राजकोट गोंडल का का राजवंश चला )
Divyrajsinh Sarvaiya (Dedarda)

25 thoughts on “चंद्रवंशी जाडेजा राजवंश का इतिहास Chandravanshi Jadeja Rajput”

  1. इतिहास चोर कृष्ण क्षत्रिय थे नके चरवाहे ओर यादव कुल है नकी कोय जाती क्षत्रियों का कुल है क्षत्रिय जाति में कृष्ण ओर राम जन्मे

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  2. Abey yadukul ka name Q kharab kr rhe ho……jadeja rajput Hindu nhi h…..

    The Jadeja (also spelled Jarejo) (Gujarati: Jāḍejā[1]) is a Rajput clan who claim to be descended from the legendary Jamshed of Iran.[2][3][4] They originated from pastoral communities and laid a claim on the Rajput identity after marriages with Sodha Rajput women.[

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  3. શ્રી માતૈઇ દેવ, ને એમના પુત્ર મામઇ દેવ ઍ સૌપ્રથમ વાર સમા વન્સ ને આશીર્વાદ આપી ને પોતાનુ કટાર કચ્છ ના રાજવી ને આપેલ હતું મામૈઇ દેવ ના આશીર્વાદ રુપે ચાવડા વંશ ના રાજાઓ ઉપર સમા વંશ નો વિજય થયો ત્યાર થી કરીને આજ રોજ સુન્ધિ ભુજ મા મહાદેવ ગેટ ઉપર મામૈઇ દેવ ના કટાર નુ નિશાન લાગેલ છે,કચ્છ,મોરબી,જામનગર ના માહારાઓ આજે પણ માતંગ વંશજો ના રક્ત તીલક પાછળ રાજાઓ ની પદવિ ઉપર બેસી સકે છે , તમારા ઇતિહાસ મા આ પ્રસંગો નો ઉલ્લ્લેખ નથી સાહેબ શ્રી કદાચિત તમને ઇતિહાસ જાણવું હોય તો કચ્છ ઇતિહાસ પરિષદ ના પ્રમુખશ્રી સવાજ સિહ જાડેજા ને સંપર્ક કરજો એટલે તમોને ખ્યાલ આવી જસે કે કચ્છ સિંધુ પ્રાંત તરિકે માતંગ(રખેશ્વર)ધર્મગુરૂઓ થી ઓળખતો હતો.

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  4. @ સાહેબશ્રી મારું નામ મહેશ્વરી રાહુલ છે,મારા મો:9510419567 છે.હુ જાડેજા વંશ નો ઇતિહાસ જોતો હતો ત્યાતો મને તામારા ઇતિહાસ મા જાણવા મળ્યુ કે ગુરુ તરિકે માતંગ દેવ ના પૌત્ર માતઈ દેવ અને માતઇ દેવ ના પુત્ર મામઇ નુ તો ના નામ નો તો ક્યાય પણ ઉલ્લેખ નથી.

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  5. 158 જામ જાડો સવંત (1172 – 1203)
    (તેમના વંશને જાડેજા કહેવાતા, તેમને એક પુત્ર પણ નહોતો, જેણે તેના ભત્રીજાને ગધેડા પર બેસાડ્યો, જેના પછી તેને એક પુત્ર દીયોજી મળ્યો)

    ગધેડા પર બેસાડ્યા .તમારી લખવા ની ભુલ છે

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  6. samajwadi Yadav, Sale Kans Or Jarasangh Aulad ho tum log, tum kahe ke yaadav be? apne aap ko yaduvanshi kahte ho? yaduvansh ek kshatriya he tumhari bhikh mange jay bhim wale ya pichhde nahi…. dusre ko apna baap to tum jarasangh ki aulad kahte ho… bhagwan shree krishna to Mathura chhodkar dwarka aa gaye the pure apne parivar ke sath… baki tum jo bache wo jarasangh ki aulad ho sale Totichor…

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  7. There are two villages in Kutch of Sama Rajput as Kshatriya and they are still facing to many problems for marriage in other Rajput khandan. What is the solution.sir pls reply

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  8. Phala Bhatti aviya ja bhupat no Bhatti vansh khavay cha..Bhatti mathi rajesthan ma bhati thaya..bhatti/bhati akaj cha..
    Amuk Bhatti raj karva Punjab gaya Ana panjabi thaya..

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      1. जय यादव जय माधव जय यादव जय माधव जय यादव जय माधव जय यादव जय माधव वीर है हम अहीर हैं हम यादव युद्ध योद्धा जय यदुवंश जय यदुवंश गोपाल कृष्ण राधा रानी की जय नंद बाबा की जय वासुदेव महाराज की जय

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      2. samajwadi yaadav BSDK tum log Pichhde log ho koi Kshtriya nahi ho chutiye…. Pahle apna itihas check karo, Shree Krishna to Mathura chhodkar Dwarka aa gaye the apne pure parivar ke sath jo aaj unke vanshaj he JAdeja, Chudasma, Rayzada…. Tum Kahe ke Yaduvanshi ho be sale Duplicate yadav… tum Jarasangh wale ho Haramkhor….

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      3. Bhen JI Ka pichhwada chatna wala kabhi yadav nahi ho sakta or mulle ke sath khada rahe wo kaheka yadav ? Khud ko yadav kahte or Gau Hatyare katve ki Gand chatte to ho sale Jarasangh Ki Aulad

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