झाला वंश कीर्तिगाथा / History of Zala

जाला वंश किर्ति कथाः(काठियावाड ग्लोरी)
पार्ट २ (जालावंश स्थापक हरपाळदेव)

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ZALA-RANA SHAKHAGOTRA

गाम मशाली तणे, बिरद रावण बोलाव्यो;
अंग थकि औदिच्य, तेणे मंगळ वर्ताव्यो.
पोहो पाटण परणियो, जगत को नात ना जाणी,
हुवा देव हरपाळ, शक्ति रीजी थइ गइ राणी.
संसार वात राखी सही, अमरवेल उतपन्न करी;
सोढो, मांगो, ने शेखरो , बा उमादे दिकरी.

हरपाळदेव ने पिताकी मृत्यु के बाद कुछ समय पराश्रय मे व्यतीत किया..

एक दिन करणदेव को परेशान करने वाले बाबरा से युध्ध कर हराया. बाबरा सुर माता के उपासक और अलोकीक शक्ति का ग्याता थे, उनको हराने के बाद वचन लीया जब मे याद करु तब मेरे कार्य मे मदद को आना होगा।
    बाबरा से लडाइ के बाद हरपाळ्देव को बहोत भुख लगी और अपने साथ दो बकरे खाने के लीये स्मशान गये (दुसरे विद्वान कहते हे श्मसान मे कोइ अनुष्ठान के लीये गये) ,  तब उस स्मशान मे रहने वाली भैरवीदेवी अदर्श्य रहकर  भोजन की मांग की हरपाळ ने दोनो बकरे दे दिये। देवी ने कहा और भोजन चाहिये तब हरपाळ ने अपनी जंघा काट मांस दिया। हरपालजी के इस व्यवहार से देवी प्रसन्न हुइ और प्रगट होकर कहा हरपाळजी आप शीव के अंश हे और पार्वतीजी का अंश ने पाटण मे हि प्रतापसिंह सोंलकी की पुत्री स्वरुप जन्म लीया हे आप उन से विवाह करो
  (कुछ विध्वानो का कहना हे बाबरा को हराने से पहेले हरपालजी स्मशान गये थे और देवी ने प्रसन्न होकर बाबरा को हराने का वरदान दिया था।)

     दुसरे दिन राजा करण सोलकि के दरबार मे बाबरा को हराने की बात पर बहोत प्रंशषा हुइ और करणदेव ने कुछ मांगने को कहा। हरपाळजी ने कहा की एक रात मे जीतने गांवे के तोरण बांधलु उतने गांव मुजे दे देना।
   राजाने हा कहि इसके बाद हरपाळ ने बाबरा के सहाय से २३०० गांवो मे तोरण बांध लीये. पहेला गांव पाटडी था और अगली सुबह से पहेले बांधा हुवा २३०० मा गांव दिधडियु  कहलाया। और मशाली गांव मे हरपाळजी ने शक्तिदेवी से शादि कि। पाटडी को राजधानी बनाकर हरपाळजी शासन करने लगे। और भाल परगणा के ५०० गांव फुलादेवी को बहन मान विरपसली के रुप मे को वापीस कर दिये।  पाटडी को राजधानी बनाकर वि.सन ११५६ मे बाबरा के द्वारा गढ बांध राज शासन का शीलान्यांस करते हे।

तु सुण्यो सांमत, दैत्य सब भाग्या डोटे,
तु सुण्यो सांमत, चडपडे लीधा चोटे;
तु सुण्यो सांमत, शक्ति राखी करी राणी;
तु सुण्यो सांमत, अढारसे घर घर आणी;

हरपाळ वडो जमरो हथो, दिन दिन अधीको दाखीये,
तुंआरो तोल केसर तणो, इला सामंत ना चाखीये।

एक दिन गजशाला मे से हाथी छुट गया. और रास्ते मे हरपाळजी के कुंवर खेल रहे थे। तब देवी शक्ति ने महल की बारी से हि अपने  हाथ  द्वारा कुंवरो को एक तरफ कर दिया, और एक चारण बाल को टपरी मार दुर कर दिया(उस चारण के वंशज टपारीया चारण कहेलाने लगे।) और हरपाळ्जी के वंशज जाला कहलवाने लगे।

पाटडी ए पोहोपाट, महेल कीधो मकवाणे,
राणी गोख रहंत, गतीको शक्ति न जाणे।
राय् तणा गजराज , मेह छुट्या मदमंता,
दूर पंथ देखीया, राजवि कुंवर रमता;
सोढो, मांगो , ने शेखरो , लांबे कर जाली लीया,
ओ आपे शक्ति आपणी, कुंवर शाख जाला किया।

धांग्रधा राज्य के हळवद मे बाबरा का स्मारक हे, और वो स्थान पीठड के नाम से जाना जाता हे। और हळवद दरबार मे मां शक्ति का मंदिर हे.  इस दोनो स्थान पर जाला कुटुंब विवाह अवसर पर दर्शन पर आते हे।
   भाट चारण लीखते हे कि हरपाळ वंश की ९ शाखा हुइ,

मकवाणा राणींग, बहो बाबल बरदाळा,
लज्जावंत लूणंग, भला बलो अचभाइ;
खतरवट राखण खांट, जके पाराकर जाणु,
विठोड ने हापेव,  जके  जलराव वखाणु;

नवशाखा नवखंड मां, मकवाणा दसमो मणी,
एटली शाखा उजळतल, तिलक शाख जाला तणी.

शक्ति देवी उपरांत हरपाळजी ने थरपाकर के सोढा राजकुंवरी राजकुंवरबा से विवाह किया था। हरपाळजी ने १०९० से ११३० तक ४० साल तक शासन किया।
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25 thoughts on “झाला वंश कीर्तिगाथा / History of Zala”

  1. Ek babujiek musalman bani gayo tatha Harpal.
    dev ne 19 Dikrao hata .
    Makwana no puro itihas batao .

    Harpal dev Na tran putro Sodho Mangoji emne koine pachal Sinich or Singh lagalu nathi to Ajee tame kem singh ke sinh laago cho

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      1. ઝાલા મકવાણાની કુળદેવી ચામુંડા માતાજી હોય ????
        અને હોય તો એ દરબારમા આવે???

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  2. Histri zala 1400th senchuri mandal gadi pa6i kuva kakavati giya tiyare temna ketla bhai hata ane temne ketla gam maliya hata ane kaya kaya hata teni mahiti api saksho my number 8690830007

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      1. e sachana ane chorvadodara(Virochan nagar) ma rahe chhe, tya vastaji dada no paliyo pan chhe.

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  3. Hey bro it’s not just a story, its our glory history!!!!
    Bro u have any other information on this please send me its really great.
    Zala Mahipatsinh
    Mob 9228813013

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