|| करंत देवि हिंगळा ||

.    रचना बचुभाई (जीवा भाई रोहडिया) गढवी
हिंगळाज माताजी री स्तुति। कविराज बचुभाई (जीवा भाई रोहडिया) गढवी जो गुजरात रा एक प्रसिध्ध वारताकार (बातपोश) हा।
                      ||दोहा||
चाहत जिणने वृंद सुर,चारण सिध्ध मुनीन्द्र।

ढूंढत है नित ध्यान मंह,करण सृष्टि सुखकंद॥1॥
मो सम को नंह पातकी,तौ सम कौण दयाळ।

डुबत हुं भवसिंधु मंह,तार जणणी ततकाळ॥2॥
कोटि अकोटि प्रकाश कर,वेद अनंत वे अंश।

जगत जणेता जोगणी, विडारण दैतां वंश॥3
                 ||छंद: नाराच||
विडारणीय दैत वंश सेवगाँ सुधारणी।

निवासणी विघन अनेक त्रणां भुवन्न तारणी।

उतारणी अघोर कुंड अर्गला मां अर्गला।

करंत देवि हिंगळा कल्याण मात मंगळा॥1॥
रमे विलास मंगळा जरोळ डोळ रम्मिया।

सजे सहास औ प्रहास आप रुप उम्मिया।

होवंत हास वेद भाष्य वार वार विम्मळ।

करंत देवि हिंगळा कल्याण मात मंगळा॥2॥
रणां झणां छणां छणां विलोक चंड वाजणां।

असंभ देवि आगळी पडंत पाय पेखणां।

प्रचंड मुक्ख प्रामणा तणां विलंत त्रावळां।

करंत देवि हिंगळा कल्याण मात मंगळा॥3॥
रमां झमां छमां छमां गमे गमे खमा खमा।

वाजींत्र पे रमत्तीये डगं मगं तवेश मां।

डमां डमां डमक्क डाक वागि वीर प्रघ्घळा।

करंत देवि हिंगळा कल्याण मात मंगळा॥4॥
सोहे सिंगार सब्ब सार कंठमाळ कोमळा।

झळां हळां झळां हळां करंत कान कुंडळा।

सोळां कळा संपूर्ण भाल है मयंक निरमळा।

करंत देवि हिंगळा कल्याण मात मंगळा॥5
छपन्न क्रोड शामळा करंत रुप कंठळा।

प्रथी प्रमाण प्रघ्घळा ढळंत नीर धम्मळा॥

वळे विलास वीजळा झमां झऴो मधंझळा।

करंत देवि हिंगळा कल्याण मात मंगळा॥6॥
नागेशरां जोगेशरां मनंखरा रिखेशरां।

दिनंकरां धरंतरां दशे दिशा दिगंतरां।

जपै “जीवो” कहे है मात अर्गला मां अर्गला।

करंत देवि हिंगळा कल्याण मात मंगळा॥7॥
रचियता :- कविराज बचुभाई (जीवा भाई रोहडिया) गढवी

2 thoughts on “|| करंत देवि हिंगळा ||”

  1. આ ફક્ત મેં ગાયકો ના મોઢે સાંભળ્યુ હતુ. આજે વાચી પણ લીધુ. આ સ્તુતિ પોસ્ટ કરવા બદ્દલ આપનો આભાર.👌👌

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