सोलंकी राजपूत राजवंश Solanki

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सोलंकी वंश वीर योद्धाओ का इतिहास🌞

1. दद्दा चालुक्य पहले राजपूत योद्धा थे जिन्होंने गजनवी को सोमनाथ मंदिर लूटने से रोका b 
2. भीमदेव द्वित्य ने मोहम्मद गोरी की सेना को 2 बार बुरी तरह से हराया और मोहम्मद गोरी को दो साल तक गुजरात के कैद खाने में रखा और बाद में छोड़ दिया जिसकी वजह से मोहम्मद गोरी ने तीसरी बार गुजरात की तरफ आँख उठाना तो दूर जुबान पर नाम तक नहीं लिया |
3. सोलंकी सिद्धराज जयसिंह इनके बारे में तो जितना कहे कम है | 56 वर्ष तक गुजरात पर राज किया सिंधदेश, मध्यप्रदेश, राजस्थान का कुछ भाग, सोराष्ट्र, तक इनका राज्य था | सबसे बड़ी बात तो यह है की यह किसी अफगान, और मुग़ल से युद्ध भूमि में हारे नहीं | बल्कि उनको धुल चटा देते थे | सिद्धराज जयसिंह और कुमारपाल ने व्यापार के नए-नए तरीके खोजे जिससे गुजरात और राजस्थान की आर्थिक स्थितिया सुधर गयी गरीबो को काम मिलने लगा और सब को काम की वजह से उनके घर की स्थितियां सुधर गयी |
4. पुलकेशी महाराष्ट्रा, कर्नाटक, आँध्रप्रदेश तक इनका राज्य था | इनके समय भारत में ना तो मुग़ल आये थे और ना अफगान थे उस समय राजपूत राजा आपस में लड़ाई करते थे अपना राज्य बढ़ाने के लिए |
5. किल्हनदेव सोलंकी ( टोडा-टोंक ) इन्होने दिल्ली पर हमला कर बादशाह की सारी बेगमो को उठाकर टोंक के नीच जाति के लोगो में बाट दिया | क्यूंकि दिल्ली का सुलतान बेगुनाह हिन्दुओ को मारकर उनकी बीवी, बेटियों, बहुओ को उठाकर ले जाता था | इनका राज्य टोंक, धर्मराज, दही, इंदौर, मालवा तक फैला हुआ था |
6. मांडलगढ़ के बल्लू दादा ने अकेले ही अकबर के दो खास ख्वाजा अब्दुलमाजिद और असरफ खान की सेना का डट कर मुकाबला किया और मौत के घाट उतार दिया | हल्दीघाटी में महाराणा प्रताप के साथ युद्ध में काम आये | बल्लू दादा के बाद उनके पुत्र नंदराय ने मांडलगढ़ – मेवाड की कमान अपने हाथों में ली इन्होने मांडलगढ़ की बहुत अच्छी तरह देखभाल की लेकिन इनके समय महाराणा प्रताप जंगलो में भटकने लगे थे और अकबर ने मान सिंह के साथ मिलकर मांडलगढ़ पर हमला कर दिया और सभी सोलंकियों ने उनका मुकाबला किया और लड़ते हुए वीरगति प्राप्त की |
7. वच्छराज सोलंकी इन्होने गौ हथ्यारो को अकेले ही बिना सैन्य बल के लड़ते हुए धड काटने के बाद भी 32 किलोमीटर तक लड़ते हुए गए अपने घोड़े पर और गाय चोरो को एक भी गाय नहीं ले जने दी और सब को मौत के घात उतार कर अंत में वीरगति को प्राप्त हो गए जिसकी वजह से आज भी गुजरात की जनता इनकी पूजती है और राधनपुर-पालनपुर में इनका एक मंदिर भी बनाया हुआ है |
8. भीमदेव प्रथम जब 10-11 वर्ष के थे तब इन्होने अपने तीरे अंदाज का नमूना महमूद गजनवी को कम उमर में ही दिखा दिया था महमूद गजनवी को कोई घायल नहीं कर पाया लेकिन इन्होने दद्दा चालुक्य की भतीजी शोभना चालुक्य (शोभा) के साथ मिलकर महमूद गजनवी को घायल कर दिया और वापस गजनी-अफगानिस्तान जाने पर विवश कर दिया जिसके कारण गजनवी को सोमनाथ मंदिर लूटने का विचार बदलकर वापस अफगानिस्तान जाना पड़ा |
9. कुमारपाल इन्होने जैन धर्म की स्थापना की और जैनों का साथ दिया | गुजरात और राजस्थान के व्यापारियों को इन्होने व्यापार करने के नए – नए तरीके बताये और वो तरीके राजस्थान के राजाओ को भी बेहद पसंद आये और इससे दोनों राज्यों की शक्ति और मनोबल और बढ़ गया | और गुजरात, राजस्थान की जनता को काम मिलने लगे जिससे उनके घरो का गुजारा होने लगा |
10. राव सुरतान के समय मांडू सुल्तान ने टोडा पर अधिकार कर लिया तब बदनोर – मेवाड की जागीर मिली राणा रायमल उस समय मेवाड के उतराधिकारी थे | राव सुरतान की बेटी ने शर्त रखी ‘ मैं उसी राजपूत से शादी करुँगी जो मुझे मेरी जनम भूमि टोडा दिलाएगा | तब राणा रायमल के बेटे राणा पृथ्वीराज ने उनका साथ दिया पृथ्वीराज बहुत बहादूर था और जोशीला बहुत ज्यादा था | चित्तोड़ के राणा पृथ्वीराज, राव सुरतान सिंह और राजकुमारी तारा बाई ने टोडा-टोंक पर हमला किया और मांडू सुलतान को तारा बाई ने मौत के घाट उतार दिया और टोडा पर फिर से सोलंकियों का राज्य कायम किया | तारा बाई बहुत बहादूर थी | उसने अपने वचन के मुताबिक राणा पृथ्वीराज से विवाह किया | ऐसी सोलंकिनी राजकुमारी को सत सत नमन | यहाँ पर मान सिंह और अकबर खुद आया था | युद्ध करने और पुरे टोडा को 1 लाख मुगलों ने चारो और से गैर लिया | सोलंकी सैनिको ने भी अकबर की सेना का सामना किया और अकबर के बहुत से सैनिको को मार गिराया और अंत में सब ने लड़ते हुए वीरगति पाई | 
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जय सोमनाथ महादेव
जय खिमज माता दी
जय बहुचराजी माता दी

Divyrajsinh Sarvaiya (Dedarda)

28 thoughts on “सोलंकी राजपूत राजवंश Solanki”

  1. ભીમદેવ પ્રથમ ના સમયમાં મોહમ્મદ ગઝનવી 7 જાન્યુઆરી ૧૦૨૬ ના રોજ સોમનાથ મંદિર પર લૂંટ ચલાવે છે અને તે સમયે ભીમદેવ પ્રથમ કંથકોટના ડુંગરો માં સંતાઈ જાય છે મોહમ્મદ ગઝની પાછો જઈ તે વખતે જાટ લોકો તેને લૂંટી લે છે અને પછી ભીમદેવ પ્રથમ સોલંકી સોમનાથ મંદિરનો જીણોદ્વાર કરાવે છે અન્ય પુસ્તકોમાં આ રીતનો ઇતિહાસ વર્ણવેલ છે એન્ટિક પુસ્તકની માહિતી આપવા વિનંતી જય માતાજી જય હિન્દ

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  2. Pl. Note that in point no 9 of this scribeis said ‘Kumarpal ne jain dharm ki stjapana ki aur jain dharma ka sath diya’thisis not true. Tje correction is Kumarpal nejain Dharm ka Sweekar kiya auruske rajya me jain dharm ko aahe badhaya.

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      1. Gujarat me abhi kon kon si jagah solanki rajput he.. .all of Gujarat krupya bataie

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  3. Why solankis are now in low category in rajput though they’re rulers & other rajput casts Zala, jadeja, vaguely etc,claims to be superior. …..

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    1. Those who claim themselves to be superior Rajput than other Rajputs are either Rustic or Fools or may be unaware of the history of other Rajputs. Solanki Rajputs are the real Rajputs who have more proud history than other. And the main reason why Jadejas and Zalas consider Solanki to be low category is because In there region they have seen some duplicate lower category people who are using Solanki surname and try to act as original Rajput hence the Jadejas and Zalas due to their lack of historical knowledge have made mentality of considering the Solanki Rajputs as lower than them but the reality is totally different.

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      1. You should update your statement because same number of Solankis are available in Mehsana, Patan, Banaskantha and some part of Gandhinagar and Ahemdabad. Also, an important thing is available Solanki in lunawada and near are migratef from Patan in time of bhimdev Solanki. Main gadi was Patan.

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      1. Jain dharma se purana Chalukya vans hai aur Solanki, Chauhan,Rathod,Parmar Sab Chalukya vansaj Hai..Aur Buddh Dharma Aur Jain Dharma Koi Real Nahi Hai Dono Banaye Gaye Hai…Baki Hindu Sanatana Dharm Is Real…Naa Bhagwan Buddh Ne Dharm Ka Neerman Kiya Naa Mahaavir Ne …Wo Sab Log Ne Unke DevLok Jaane K Baad Dharm Ki Sthapna Ki … Asliyat Sirf Hindu Sanatan Hai❤️

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      1. મહાદેવ હર
        ભીમદેવ પ્રથમ સોલંકી ના સમયમાં 7 જાન્યુઆરી ૧૦૨૬ ના રોજ મોહમ્મદ ગજનવી નું સોમનાથ પર આક્રમણ કરી સોમનાથ મંદિર ને લૂટે છે તથા તે સમયે ભીમદેવ પ્રથમ કંથકોટ ના ડુંગરો માં સંતાઈ જાય છે મોહમ્મદ ગઝનવી રજની પાછળ જાય તે સમયે જાટ લોકો તેને લૂટે છે અને ત્યારબાદ ભીમદેવ પ્રથમ સોમનાથ મંદિરનો જીણોદ્વાર કરાવે છે અન્ય પુસ્તકોમાં આ રીતનો ઇતિહાસ વર્ણવેલ છે હકીકતમાં શું થયું તે જણાવવા વિનંતી

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